Sufism Poems

Popular Sufism Poems
मालूम नहीं
by Sumit Maurya

मैं एक सफर में हूं
मगर जाना कहां
ये मुझे मालूम नहीं
कोई साथ है मगर कौन यहां
ये मुझे मालूम नहीं
मेरे ईमान पे शक ओ शुबा करने वाले
तू मुझमें है मगर मैं कौन हूं
ये मुझे मालूम नहीं
तेरी तालीम है
तुझसे शिकायत होगी कैसे

......

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by Sumit Maurya

मैं एक सफर में हूं
मगर जाना कहां
ये मुझे मालूम नहीं
कोई साथ है मगर कौन यहां
ये मुझे मालूम नहीं
मेरे ईमान पे शक ओ शुबा करने वाले
तू मुझमें है मगर मैं कौन हूं
ये मुझे मालूम नहीं
तेरी तालीम है
तुझसे शिकायत होगी कैसे

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