Sumit Maurya

September 3, 1984 - Earth
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मालूम नहीं

मैं एक सफर में हूं
मगर जाना कहां
ये मुझे मालूम नहीं
कोई साथ है मगर कौन यहां
ये मुझे मालूम नहीं
मेरे ईमान पे शक ओ शुबा करने वाले
तू मुझमें है मगर मैं कौन हूं
ये मुझे मालूम नहीं
तेरी तालीम है
तुझसे शिकायत होगी कैसे
तू ही रास्ता, तू ही मंज़िल ए सुकून भी है
मैं हमसफ़र में हूं ये तो पता है मुझको
मगर वो कौन है
ये मुझे मालूम नहीं
एक तस्वीर जो मुद्दातों में तराशी उसकी
दिखता तो मुझसा है ये तो दिख गया मुझको
क्या मैं भी उस सा हूं
ये मुझे मालूम नहीं
एक अंदाज़ ए रूहानी है उसमे
उसकी अब बात क्या कीजे
आंखों से दिखता है
ये मुझे मालूम नहीं
ये रास्तों में थकना मुझसे होता ही नहीं
मैं रास्ता उसका हूं या वो रास्ता मेरा
कौन किसको ढूंढेगा
ये मुझे मालूम नहीं
डूबना मुझको है या के बस पीना है मुझको
दरिया में खुद का हूं या खुदा हूं खुद का
कौन किसमें डूबेगा
ये मुझे मालूम नहीं
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