Sumit Maurya

September 3, 1984 - Earth
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जाम ए ज़िंदगी

तुझमें शराब जैसी सहूलियत है,
और पानी सा प्यार भी।
बर्फ जैसी ठंडक भी तू,
कोयले की चिंगार भी।
पापड़ जैसी कड़क तो है तू,
गजरे का है तू हार भी।
खट्टी मीठी नमकीन जैसी,
3 पेग का खुमार भी।
ओह जिंदगी ऐसी है तू,
जो महफिलों में गुज़ार दी।
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