नाम: उत्तम सिंह भाषाएँ: हिंदी / उर्दू विधाएँ: दार्शनिक नज़्म, अस्तित्ववादी कविता, आधुनिक सूफ़ियाना चिंतन परिचय: उत्तम सिंह समकालीन हिंदी–उर्दू कविता के ऐसे कवि हैं जिनकी नज़्में विद्रोह और आत्मचिंतन के बीच की महीन रेखा पर टिकी हैं। उनकी कविताओं में इंसान अपने ख़ुद के ज़मीर से बात करता है — कभी ख़ुदा से उलझता है, कभी ख़ामोशी से। ये कविताएँ न इबादत हैं, न मोहब्बत — ये ख़ुद से की गई ईमानदार बातचीतें हैं। उनके अल्फ़ाज़ों में थकावट भी एक सलीका है, और फ़लसफ़ा एक धीमी आग, जो इंसान की रूह को जलाकर उजाला देती है। उत्तम की आवाज़ में जौन एलिया की कसक, गुलज़ार की नरमी, और फ़ैज़ की बगावत एक साथ...