Muskan Sharma

July 7,2001 - Kurukshetra
Send Message

बस इतना टूट चुकी हूँ

बस टूट चुकी हूँ
खुदसे क्या कहूँ
किसी से क्या बात करूँ
मन ही नहीं करता
किसी के पास जाने का
किसी से दो घड़ी बात करने का
खुदसे भी यूँ मुँह मोड़ लिया है मैंने
बस टूट चुकी हूँ

सवाल करना चाहती हूँ
कि मेरे साथ ऐसा क्यूँ हुआ
मैंने क्या किया था
फिर मेरे साथ ऐसा क्यूँ हुआ
पर अब यूँ खोई खोई सी रहती हूँ
मन नहीं करता मुँह खोलने का
किसी से सवाल करने का
बस इतना टूट चुकी हूँ ।

हार कभी ना मानी थी मैंने
हर परिस्थिति का सामना करती रही
बस अब और नहीं होता
विश्वास सबसे उठ चुका है
बस इतना टूट चुकी हूँ ।
149 Total read