Dumpy *

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गाँव की यादें

मुझे शहर में गाँव की याद हमेंश आती और मुझे गाँव की जिन्दगी ही भांती ।
वो गाँव में आपना पूरा बचपन बिताना और अब पैसे कमाने शहर की ओर जाना।
अब शहर भी जरूरी है जाना क्यो कि गाँव में अपना नाम जो बनना।
वो गाँव में माँ के हाथ का बना घी का खाना और शहर में तो खुद ही खाना है बानन ।
वो गाँव में बुजुर्गों के साथ पुरा - पूरा दिन बिताना और शहर में बिन मतलब बनता हर कोई बनता अनजाना।
वो गाँव में दस्तो साथ महफिल सज्जाना और
शहर में शराब में महफिल कि यादे डुनते रह जाना।
वो गाँव में दादी के साथ शाम को चाय कि चुशकिया लगना और शहर में शाम को उसी बात को याद करते हुए ऑफिस से रुम को आना ।
वो गाँव में बारिश के बाद मिट्टी की खुशबू का आनंद आना और
शहर में तो गन्दे नालो से बचते हुए जाना ।
वो गाँव में नदियों में नहाना और
शहर में मुश्किल है नदियों और नालों में अंतर बताना।
अब लगता है कि शहर में ही मन होगा लगना ।
क्यो कि मुझे यहाँ से कुछ बन कर गाँव है वापस जाना ।
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