Sumit Maurya

September 3, 1984 - Earth
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Ummeed

कुछ शामें हैं
कुछ लहरे हैं
कुछ समंदर हैं जो गहरे हैं
कुछ बाँतें हैं
कुछ रातें हैं
कुछ लम्हे हैं जो ठहरे हैं
कुछ यादें हैं
कुछ वादे हैं
कुछ सजदे हैं जो मेरे हैं
कुछ हिस्से हैं
कुछ क़िस्से हैं
कुछ घाव अनछुए तेरे हैं
कुछ सपने हैं
कुछ अपने हैं
कुछ दाग दिलों को घेरे है
कुछ दर्द ए दूरी
कुछ मजबूरी
कुछ वक्त बेवफ़ा से ठहरे हैं
मगर उम्मीदें अब भी ज़िन्दा हैं
और इश्क़ अभी भी बाक़ी है
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