Sumit Maurya

September 3, 1984 - Earth
Send Message

तू

तेरी सांसों से ही तो मेरा वजूद है
वर्ना मै बांसुरी किस काम की
सिर्फ एक लकड़ी ही तो हूं
पड़े पड़े सड़ जाऊंगी।
होठों से जो छू कर
मुझे जिंदा तू करता है
इतना एहसान भी करदे
के ज़हन ए दुनिया में बसा दे मुझको।
एक नाम दे दे मुझे
जो लोगों को समझ आ जाए
के धड़कने मेरी है मगर
सांसें तेरी हैं मुझमें।
424 Total read