Aakanksha Raj

03/12/2000
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खुद से

ना जाने खुद से ही खोई खोई रहती हु,
खुद की बातें खुद को ही क्यों समझती हु |

हाल हैं कुछ ऐसा इस दिल का अब,
सुनाई देती दिल की धड़कने परिंदे को अब |

अंजानी सी हैं ये एहसास मेरी,
लगती हु मै वो नहीं
जो हुआ करती थी पहले कभी |

ना जाने खुद से ही खोई खोई रहती हु,
खुद की बातें खुद को ही क्यों समझती हु |

देखा ज़ब से तुझे सनम,
बनने लगी मै तो तेरी बलम|

तेरे बिना अब न ये बीते दिन, रैन
सजाना तेरे बिना ना आये एक पल चैन |


By- Aakanksha Raj.
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