Mohan Rana

1964 / Dehli / India

प्रवासी - Poem by Moh

एक महाद्वीप से दूसरे तक ले जाते अपनी भाषा
ले जाते आम और पीपल का गीत
ले जाते कोई ग्रीष्म कोई दोपहर
पूस का पाला अपने साथ
ले जाते एक गठरी साथ,
बाँध लेते अजवाइन का परांठा भी यात्रा के लिए
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