Kedarnath Singh

7 July 1934 / Chakia, Ballia, Uttar Pradesh / India

अंधेरे पाख का चांद - Poem by Kedarnath Singh

जैसे जेल में लालटेन
चाँद उसी तरह
एक पेड़ की नंगी डाल से झूलता हुआ
और हम
यानी पृथ्वी के सारे के सारे क़ैदी खुश
कि चलो कुछ तो है
जिसमें हम देख सकते हैं
एक-दूसरे का चेहरा!
227 Total read